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शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

baatcheet:

" सचिन सक्सेना " मध्य भारत कायस्थ परिषद
9425092691

कैसी रही आपकी जयपुर की मीटिंग ! लम्बे समय से राष्ट्रिय कायस्थ महापरिषद की कोई गतिविधि नही हो रही है! अनुपम जी वर्मा जी से भी कोई सन्देश प्राप्त  हुए लंबा समय हुआ है कृपया संपर्क में रखिये तथा मेरे लिए कुछ हो तो अवश्य बताये !
मेरा ऐसा मानना है की शायद या तो कार्य नही हो रहा है या कार्यों के प्रचार में हम पिछड़ रहे है ! हम प्रचार प्रसार के लिए हाईटेक तरीके अपना सकते है और अपनी वेबसाइड भी बना सकते हैं और पुरे देश में प्रचारित कर सकते हैं ! इससे सम्पर्क और नाम दोनों ही बढेगा ! 
हम लोग मोबाइल वेब डाइरेक्टरी भी बना सकते हैं जिसमे पुरे भारत के कायस्थ बन्धुओं के नम्बर पोस्ट कर सकते हैं !
वेब साइड पर अपने पहले हो चुके कार्य तथा भविष्य के कार्य और योजनाये भी डाल सकते हैं ! साथ ही RKM का फेसबुक पेज भी बना कर संचालित कर सकते हैं !

On 1 Jan 2015 23:04, "Arbind Sinha" <arbind.sinha@yahoo.com>

nav varsh...

Govind Johri bhoramdev@gmail.com



मुझेArbindARUNKumarArunUmeshVirendraTrilokeeKailashpati,
KamalCharuKharecharuDINESHMANISHCAGovindpsrivast.,
RakeshBrajendraAmitabh801HarendraRajeshSachinSantosh,
bhatnagarkgsshrivastav.sha.
    Dear beloved all,
any how for your happiness wishing you and your family the very prosperous, charming flourishing successful year and coming ahead many more years!..........

but once we should think is it right to adopt globally accepted new year and forget our own ultra accuracy having calendar just for some ease !.......

I don't say to discard or disrespect others but don't forget your calendar If you think you know your hindi calendar please mesmerize name of Hindi months just now and if not please purchase a Hindi month calendar right know for correcting your and possible generation mistakes too in future. 

please co-operate ......

गुरुवार, 1 जनवरी 2015

tribute:

स्मरण: व्यक्तित्व, महापुरुष, वैज्ञानिक


an outstanding Indian Physicist & father of "Bose-Einstein Theory" Padma Vibhushan Shri Satyendra Nath Bose ji. 


shri chitraguptaji



  






dr. rajendra prasad

स्मरण:
३ दिसम्बर को देश के प्रथम रास्ट्रपति चित्रांश डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का, सच्चे देश भक्त चित्रांश श्री खुदीराम बोस का, के.पी.ट्रस्ट के संस्थापक चित्रांश श्री मुंशी कालीप्रशाद कुलभास्कर जी का जन्म दिन है. तीन महान कायस्थ विभुतियो का जनम दिन एक ही दिन अंतरराष्ट्रिय चित्रांश के रूप में अवश्य मनाये !
डॉ. राजेंद्र प्रसाद

जन्मदिन / डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर)
---------------------------------------------
भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न बाबू राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार के छपरा जिले के गाँव जीरादेई के कायस्थ परिवार मे हुआ था। उनके दादा हथुआ रियासत के दीवान थे। पिता महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे सो बचपन मे उन्होने एक मौलवी साहब को बालक राजेन्द्र को फारसी सिखाने पर लगा दिया। छपरा के जिला स्कूल , पटना की टी० के० घोष अकादमी मे पढाई के बाद 1902 में उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। 1915 में उन्होंने स्वर्ण पदक के साथ विधि परास्नातक की परीक्षा पास की और लॉ मे डॉक्ट्रेट किया। वे अंग्रेजी, हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी व बंगाली गुजराती भोजपुरी , संस्कृत आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान था । भारत मित्र, भारतोदय, कमला आदि में उनके लेख छपते थे। उन्होंने हिन्दी के “देश” और अंग्रेजी के “पटना लॉ वीकली” समाचार पत्र का सम्पादन भी किया था। चम्पारण में गान्धीजी के तथ्य अन्वेषण समूह मे वे प्रमुख थे । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गये। संविधान निर्माण मे उनकी भूमिका इतनी अधिक थी कि भारतीय संविधान उन्हे पूरा याद हो गया था। उन्होने अपनी आत्मकथा, बापू के कदमों में , इण्डिया डिवाइडेड , सत्याग्रह ऐट चम्पारण आदि अनेक पुस्तकों की रचना की थी । सितम्बर 1962 में राष्ट्रपति पद से अवकाश ग्रहण करते ही राष्ट्र ने उन्हें "भारत रत्न" की सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। उनके जीवन का अंतिम पड़ाव पटना का सदाकत आश्रम था, जहां पर 28 फ़रवरी 1963 को उनकी मृत्यु हुई।

mahapurush


कायस्थ महापुरुष / व्यक्तित्व, धर्म, साहित्यकार, राजनीति, समाजसेवा, योद्धा, ऐतिहासिक



 

om



vandana chitragiptaji:



चित्रगुप्त वंदना:   

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*
हे चित्रगुप्त भगवन आपकी जय-जय
हे परमेश्वर मतिमान आपकी जय-जय

हे अक्षर अजर अमर अविनाशी अक्षय
हे अजित अमित गुणवान आपकी जय-जय  

हे तमहर शुभकर विधि-हरि-हर के स्वामी
हे आत्मा-प्राण निधान आपकी जय-जय

हे चारु ललित शालीन सौम्य शुचि सुंदर
हे अविकारी संप्राण आपकी जय-जय

हे चिंतन मनन सृजन रचना वरदानी
हे सृजनधर्मिता-खान आपकी जय-जय

बेटे को कहती बाप बाप का दुनिया
विधि-पिता ब्रम्ह संतान आपकी जय-जय

विधि-हरि-हर को प्रगटाकर, विधि से प्रगटे
दिन संध्या निशा विहान आपकी जय-जय

सत-शिव-सुंदर सत-चित-आनंद हो देवा
श्री क्ली ह्री कीर्तिवितान आपकी जय-जय

तुम कारण-कार्य तुम्हीं परिणाम अनामी
हे शून्य सनातन गान आपकी जय-जय

सब कुछ तुमसे सब कुछ तुममें अविनाशी
हे कण-कण के भगवान आपकी जय-जय

हे काया-माया-छाया-पति परमेश्वर
हे सृष्टि-सृजन अभियान आपकी जय-जय

***********

मंगलवार, 30 दिसंबर 2014

smriti geet:

शोक के पल:

छिन्दवाड़ा. शनिचरा बाजार निवासी, नगर के प्रतिष्ठित राजा परिवार के प्रमुख श्री वीरेंद्र मोहन राजा का अल्प बीमारी के बाद निधन हो गया. वे अपनी सरलता, मिलनसारिता और मददगारी प्रवृत्ति के लिए ख्यात थे. स्व. श्री लक्ष्मीनारायण राजा और स्व. प्रभावती राजा के ज्येष्ठ पुत्र वीरेंद्र के पुत्र निमिष मुल्ताई (बैतूल) में व्यवहार न्यायाधीश पदस्थ हैं. त्रयोदशी संस्कार ८ जनवरी को छिंदवाड़ा स्थित निवास पर होगा। 


माँ स्व. प्रभावती जी, पत्नि साधना तथा पुत्र निमिष सहित वीरेन्द्र जी

स्मृति गीत: 

नहीं भरोसा होता साथ न आते तुम 
काश हमारे साथ सदा रह पाते तुम
पल-पल हमको याद बहुत तुम आते हो -
आँख खुले या मुंदे दिखे मुस्काते तुम.
*
सहज-सरल व्यक्तित्व प्रवाहित नदिया सा 
बहा ह्रदय में सदा स्नेह का दरिया सा 
श्वास-श्वास साधना करी संबंधों की- 
प्रभा-लक्ष्मीनारायण का सपना सा 
करुणा अरुणा नीना की राखी-सावन 
महेश सुधीर प्रणय का नाता अपना सा  
खटकी कुण्डी, लगे लौट घर आते तुम 

*
'धीरू' गया कलपकर टूटे रोये थे 
सम्हाल सहारा सबका बने, न खोये थे 
स्वाति वतन विनती के आँसू पोंछ दिये 
सबके नयनों में नव सपने बोये थे 
सचि रूचि रानू सोनू के प्रिय मामाजी 
जगे नहीं क्यों? अभी-अभी तो सोये थे 
छोटे-बड़ों सभी को थे मन भाते तुम 
*
कर नेहा अभिषेक न अब हँस पायेगी 
आँगन में गौरैया कैसे गायेगी?
निमिष-मनीषा शीश झुकाये मौन खड़े 
थाप न ढोलक की अब मन को भायेगी 
मनवन्तर ही लगता ठिठक हो चुप 
तुहिना कलिका संग कैसे मुस्कायेगी 
सलिल-साधना को फिर गले लगते तुम 
***






  

smriti geet:

शोक के पल:

छिन्दवाड़ा. शनिचरा बाजार निवासी, नगर के प्रतिष्ठित राजा परिवार के प्रमुख श्री वीरेंद्र मोहन राजा का अल्प बीमारी के बाद निधन हो गया. वे अपनी सरलता, मिलनसारिता और मददगारी प्रवृत्ति के लिए ख्यात थे. स्व. श्री लक्ष्मीनारायण राजा और स्व. प्रभावती राजा के ज्येष्ठ पुत्र वीरेंद्र के पुत्र निमिष मुल्ताई (बैतूल) में व्यवहार न्यायाधीश पदस्थ हैं. त्रयोदशी संस्कार ८ जनवरी को छिंदवाड़ा स्थित निवास पर होगा। 


माँ स्व. प्रभावती जी, पत्नि साधना तथा पुत्र निमिष सहित वीरेन्द्र जी

स्मृति गीत: 

नहीं भरोसा होता साथ न आते तुम 
काश हमारे साथ सदा रह पाते तुम
पल-पल हमको याद बहुत तुम आते हो -
आँख खुले या मुंदे दिखे मुस्काते तुम.
*
सहज-सरल व्यक्तित्व प्रवाहित नदिया सा 
बहा ह्रदय में सदा स्नेह का दरिया सा 
श्वास-श्वास साधना करी संबंधों की- 
प्रभा-लक्ष्मीनारायण का सपना सा 
करुणा अरुणा नीना की राखी-सावन 
महेश सुधीर प्रणय का नाता अपना सा  
खटकी कुण्डी, लगे लौट घर आते तुम 

*
'धीरू' गया कलपकर टूटे रोये थे 
सम्हाल सहारा सबका बने, न खोये थे 
स्वाति वतन विनती के आँसू पोंछ दिये 
सबके नयनों में नव सपने बोये थे 
सचि रूचि रानू सोनू के प्रिय मामाजी 
जगे नहीं क्यों? अभी-अभी तो सोये थे 
छोटे-बड़ों सभी को थे मन भाते तुम 
*
कर नेहा अभिषेक न अब हँस पायेगी 
आँगन में गौरैया कैसे गायेगी?
निमिष-मनीषा शीश झुकाये मौन खड़े 
थाप न ढोलक की अब मन को भायेगी 
मनवन्तर ही लगता ठिठक हो चुप 
तुहिना कलिका संग कैसे मुस्कायेगी 
सलिल-साधना को फिर गले लगते तुम 
***






  

chitragupt stuti:





चित्रगुप्त नमस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायक
कायस्थ जातिमासाद्य चित्रगुप्त नमोस्तुते.

हे चित्रगुप्तजी! नमन आपको शत-शत
कायस्थ-मूल लेखक को अक्षरदाता। मंत्र, श्लोक,

हे चित्रगुप्तजी! आपको नमस्कार. आप लेखकों को अक्षर देनेवाले हैं. आप कायस्थ जाति के आदि (उद्गम) हैं. हम आपको नमन कर आपकी स्तुति करते हैं.

chitragupta vandana:



चित्रगुप्त वंदना: 

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*
हे चित्रगुप्त भगवन आपकी जय-जय
हे परमेश्वर मतिमान आपकी जय-जय

हे अक्षर अजर अमर अविनाशी अक्षय
हे अजित अमित गुणवान आपकी जय-जय

हे तमहर शुभकर विधि-हरि-हर के स्वामी
हे आत्मा-प्राण निधान आपकी जय-जय

हे चारु ललित शालीन सौम्य शुचि सुंदर
हे अविकारी संप्राण आपकी जय-जय

हे चिंतन मनन सृजन रचना वरदानी
हे सृजनधर्मिता-खान आपकी जय-जय

बेटे को कहती बाप बाप का दुनिया
विधि-पिता ब्रम्ह संतान आपकी जय-जय

विधि-हरि-हर को प्रगटाकर, विधि से प्रगटे
दिन संध्या निशा विहान आपकी जय-जय

सत-शिव-सुंदर सत-चित-आनंद हो देवा
श्री क्ली ह्री कीर्तिवितान आपकी जय-जय

तुम कारण-कार्य तुम्हीं परिणाम अनामी
हे शून्य सनातन गान आपकी जय-जय

सब कुछ तुमसे सब कुछ तुममें अविनाशी
हे कण-कण के भगवान आपकी जय-जय

हे काया-माया-छाया-पति परमेश्वर
हे सृष्टि-सृजन अभियान आपकी जय-जय

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