विमर्श :
भगवन चित्रगुप्त सिंहासन पर तो उनकी दोनों पत्नियां जमीन पर क्यों ?
क्या आपने राम जी को सिंहासन पर शिव जी को सिंहासन पर पारवती जी को जमीन पर, राम जी को सिंहासन पर सीता जी को जमीन पर, कृष्ण जी को सिंहासन पर रुक्मिणी जी को जमीन पर देखा है?
क्या आपके पिता कुसी पर माँ जमीन पर, भाई कुर्सी पर भाभी जमीन पर, बहनोई कुर्सी पर बहिन जमीन पर, आप कुसी पर पत्नी जमीन पर या आपके पति कुर्सी पर आप जमीन पर बैठते हैं?
या चित्रगुप्त जी इतने निर्धन थे कि ३ सिंहासन नहीं क्रय सकते थे?
क्या यह नर-नारी समानता के विरुद्ध नहीं है?
इस तरह के चित्र की पूजा करनेवाले या अपनी साइट पर लगानेवाले उत्तर दें. क्या आप जाने हैं के अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के हैदराबाद सम्मलेन १९९१ में इस चित्र के दोषों पर व्यापक चर्चा के बाद इसे अपूजनीय घोषित किया जा चुका है?
केवल 'लाइक, न करें। अपने विचाए दें. यदि आपत्ति से सहमत है तो क्या ऐसे चित्रों को चित्र की पूजा करेंगे? चित्र में क्या बदलाव हो या कैसा चित्र बनाया जाए?
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